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Wednesday 1 February 2012

पंजाब, दिल्ली और यूपी तक फैला है पॉन्टी का साम्राज्य



लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बड़े उद्योगपति पॉन्टी चड्ढा की कारोबारी हैसियत पर अक्सर उंगलियां उठती रही हैं. उनके ढाई हजार करोड़ रुपये के कारोबार में शराब और चीनी मिलों के धंधे भी शामिल हैं और कहा जाता है कि उनकी कारोबारी कामयाबी तीन तीन राज्यों की सियासत में उनकी पहुंच का नतीजा है.
57 साल के पॉन्टी चड्ढा ने 'जो बोले सो निहाल' फिल्म बनाने में भी अपने पैसे लगाए थे और 'मर्डर-टू' भी उत्तर भारत के सिनेमाघरों में उनकी वजह से ही पहुंच पाईं थी.
'खाकी', 'गदर' और 'कंपनी' जैसी फिल्मों को सिनेमाघरों में लाने के पीछे भी इनकी भूमिका रही है.
पॉन्टी चड्ढा का असली नाम गुरदीप सिंह है और वेव सिनेमा चेन के मालिक भी हैं. इसके साथ ही लुधियाना, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, दिल्ली, ग़ाज़ियाबाद और ग्रेटर नोएडा में कई मॉल्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सिनेमाघर और डिस्को थेक चलाते हैं.
पॉन्टी चड्ढा का कारोबार करीब 2500 करोड़ रुपए का बताया जाता है और मीडिया में उनके सियासी रसूख के बारे में अक्सर कहा जाता रहा है कि पंजाब दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सत्ता और सिस्टम उन्हें अनसुना नहीं कर सकती.
पॉन्टी चड्ढा ने ये हैसियत एक कामयाब बिजनेस अंपायर से हासिल की है जिसमें वेव सिनेमा, कई मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के साथ साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में कई रिहायशी कॉलोनियां हैं. बिलासपुर में कागज बनाने का कारोबार और उत्तर प्रदेश व पंजाब में बिजली बनाने की फैक्ट्री है.
उत्तर प्रदेश में सात चीनी मिलें, पंजाब की एक चीनी मिल और कोका कोला के बॉटलिंग की एक फ्रेंचाइजी शामिल है. लेकिन उनका सबसे बड़ा कारोबार है शराब का. पॉन्टी को उत्तर भारत में शराब के धंधे का शहंशाह कहा जाता है.
पॉन्टी चड्ढा की कामयाबी की कहानी शुरु होती है पंजाब से. पंजाब में एक नेता के शराब कारोबार पर एकछत्र राज्य को तोड़ने के लिए पॉन्टी को कारोबार में पैर पसारने का मौका दिया गया था. पॉन्टी ने पैर पसारे और पंजाब में इस कारोबार के राजा बन बैठे. शराब बनाने के अलावा वो शराब की फुटकर बिक्री और सप्लाई का भी काम करते हैं.
कामयाबी की कहानी
पॉन्टी को शराब के कारोबार ने सियासी गलियारों तक पहुंचाया. पंजाब से शुरुआत हुई. उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार के दौरान जड़ें जमाईं और इसके बाद मायावती सरकार में खूब फले फूले. लेकिन मायावती सरकार से उनकी करीबी से ही उनकी मुश्किलें बढ़ने लगीं.
साल दो हजार नौ यानी अब से दो साल पहले कुछ ऐसा हुआ जो देश में पहले कभी नहीं हुआ था. उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब के कारोबार में राजस्व वसूली का छह हजार करोड़ का टेंडर पॉन्टी चड्ढा की प्राइवेट फर्म को सौंप दिया. चौंका देने वाले इस फैसले के बाद विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मायावती सरकार ने अपने करीबी पॉन्टी चड्ढा को पूरे प्रदेश के शराब कारोबार को अपने इशारों पर नचाने का अधिकार दे दिया है.
पॉ़न्टी चड्ढा का एक और पारिवारिक कारोबार भी विवादों के घेरे में रहा है. पिता कुलवंत सिंह ने साठ के दशक में पहली चीनी मिल मुरादाबाद में लगाई थी तब से ही पॉन्टी इसकी भी देखरेख कर रहे थे.
पॉन्टी पर इल्जाम लगा कि मायावती सरकार के साथ मिल इस धंधे को उन्होंने गोरखधंधे में बदल दिया.
दरअसल यूपी सरकार ने साल दो हजार दस में 10 मिलों की नीलामी की थी और इल्जाम ये था कि नीलामी की शर्ते ऐसी थीं कि सिर्फ दो कंपनियां ही नीलामी में शामिल हो पाईं जिसमें एक पॉन्टी चड्ढा की थी. ये भी आरोप था कि पॉन्टी को मिल बेचने के लिए रिजर्व दामों से आधे पैसे में ही नीलामी कर दी गई जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता.

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